भारत ने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 मैच की टेस्ट सीरीज में वापसी की। टीम इंडिया ने दूसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराया। इसके साथ ही सीरीज में 1-1 की बराबरी की। रहाणे विराट कोहली के बाद बॉक्सिंग डे टेस्ट जीतने वाले दूसरे भारतीय कप्तान बने। टीम इंडिया ने कोहली की कप्तानी में 2018 में बॉक्सिंग डे टेस्ट में जीत हासिल की थी।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया को 8 विकेट से हार झेलनी पड़ी थी। पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को दूसरी पारी में 36 रन पर समेट दिया था। इसके बाद भी टीम इंडिया ने वापसी की और दूसरा मैच जीता। अश्विन से लेकर बॉलर्स को लंबे स्पेल देने और स्मार्ट फील्डिंग से स्टीव स्मिथ और मार्नस लाबुशेन को फंसाने तक तक रहाणे के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ने टीम इंडिया को दूसरे टेस्ट में हमेशा फ्रंट फुट पर रखा। मैच में उनकी कप्तानी की पूर्व क्रिकेटर्स ने भी तारीफ की थी।
पहली पारी में अश्विन को फर्स्ट बॉलिंग चेंज के तौर पर गेंद थमाई
मैच के दौरान पहली पारी में रहाणे ने 11वें ओवर में पहली बार बॉलिंग में बदलाव किया। उन्होंने सबको चौंकाते हुए मोहम्मद सिराज की जगह रविचंद्रन अश्विन को नई गेंद थमाई। उस वक्त ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू वेड क्रीज पर थे। साथ ही अश्विन पहले भी नई गेंद से बॉलिंग कर चुके हैं। उस वक्त पिच में नमी होने की वजह से रहाणे ने यह साहसी निर्णय लिया। रहाणे का यह फैसला मास्टर-स्ट्रोक साबित हुआ। अश्विन ने अपने पहले स्पेल में मैथ्यू वेड और स्टीव स्मिथ का विकेट लिया। इसके अलावा उन्होंने टिम पेन को भी पवेलियन भेजा।
वहीं, एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट में विराट कोहली ने पहली पारी में अश्विन को चौथे बॉलर के रूप में गेंद थमाई थी। हालांकि, इसके बावजूद कोहली ने पारी में 4 विकेट चटकाए थे। विदेशी जमीन पर कोहली ज्यादातर अश्विन को बीच के ओवर में ही गेंदबाजी देते हैं। ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे पर कोहली ने अश्विन को सिर्फ 1 टेस्ट में मौका दिया था।
स्मार्ट बॉलिंग चेंज के साथ उन्हें लंबे स्पेल देना
रहाणे ने मैच में स्मार्ट बॉलिंग चेंज की। उन्होंने अपने मेन बॉलर्स से लंबे स्पेल निकलवाए। सबसे पहले उन्होंने स्ट्राइक बॉलर जसप्रीत बुमराह और उमेश यादव से 11 ओवर्स करवाए। इसके बाद अश्विन को अटैक में लाकर उनसे 12 ओवर गेंदबाजी करवाई। फिर सिराज को गेंदबाजी थमाई और उनको 6 ओवर्स दिए। इसके फायदा उन्हें मिला और टीम ने ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 195 रन पर समेट दिया। वहीं, दूसरी पारी में भी उन्होंने यही रणनीति अपनाई और ऑस्ट्रेलिया को 200 रन पर ऑलआउट कर दिया।
वहीं, कोहली ने पहले टेस्ट में छोटे-छोटे स्पेल में अपने गेंदबाजों से बॉलिंग कराई। उन्होंने बुमराह-उमेश को 5-5 ओवर दिए। इसके बाद उन्होंने बुमराह को हटाकर शमी से गेंदबाजी कराई। कभी-कभी विकेट नहीं गिरने पर वे अपने बॉलर्स से सिर्फ 1 ओवर गेंदबाजी भी करवाते हैं।
स्मार्ट फील्डिंग के जाल में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को फंसाया
रहाणे ने पहली पारी में मार्नस लाबुशेन, स्टीव स्मिथ और ट्रेविस हेड के लिए एक रणनीति के तहत फील्डर्स तैनात किए। बॉलर्स ने भी फील्डिंग के हिसाब से बॉलिंग की। इसका फायदा टीम इंडिया को मिला। तीनों ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स उसी जगह कैच दिया, जहां पर फील्डर्स तैनात किए गए थे।
पहले टेस्ट में कोहली की कप्तानी में यह नहीं देखा गया था। साथ ही टीम इंडिया ने 5 कैच भी ड्रॉप किए थे। इसका खामियाजा टीम इंडिया को हार के रूप में चुकाना पड़ा था।
कोहली, रोहित जैसे बड़े खिलाड़ी टीम में नहीं थे
टीम में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बड़े खिलाड़ी नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने अपनी टीम पर भरोसा जताया और उनमें विश्वास जगाया। बल्लेबाजी में उन्होंने अकेले ही टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाया। टीम में 2 डेब्यू करने वाले खिलाड़ी थे। इन दोनों ने भी टीम की जीत में अहम रोल निभाया।
रहाणे ऐन मौकों पर शांत रहते हैं, कोहली का एग्रेशन उनकी पहचान
मेलबर्न टेस्ट में जीत के बाद टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री ने रहाणे की तारीफ की। उन्होंने कोहली और रहाणे के बीच अंतर भी बताया। उन्होंने कहा, कोहली और रहाणे दोनों को मैच की अच्छी समझ है। हालांकि, दोनों का स्वभाव अलग अलग है। विराट बहुत भावुक हैं, जबकि रहाणे बहुत शांत और चतुर कप्तान हैं। यह उनकी विशेषता है। विराट अपने एक्सप्रेशन पर कंट्रोल नहीं कर पाते, जबकि रहाणे कूल रहते हैं।'
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को नॉटआउट दिए जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी
यह रहाणे का शांत स्वभाव ही था कि मैच में अंपायर द्वारा कई फैसले नहीं दिए जाने के बावजूद अपने प्लेयर्स को बूस्ट किया। टिम पेन पहली पारी में रन आउट होने के बावजूद रन आउट नहीं दिए गए। मार्नस लाबुशेन और जो बर्न्स के LBW डिसिजन भी अंपायर ने नकार दिए। इसके बावजूद रहाणे घबराए नहीं और अपनी टीम की हिम्मत बढ़ाई। वहीं कोहली ऐसे मौकों पर शांत तो बिलकुल नहीं रहते और उनका रिएक्शन ही सारी कहानी बयां कर देता है।
डेब्यू करने वाले खिलाड़ियों की मदद करना
रहाणे के मदद करने वाले स्वभाव की वजह से ही दूसरे टेस्ट में डेब्यू कर रहे मोहम्मद सिराज और शुभमन गिल को काफी मदद मिली। सिराज को लगातार स्पेल दिए और उन्होंने पहली पारी में 2 और दूसरी पारी में 3 विकेट लिए। वहीं शुभमन ने पहली पारी में 45 रन और दूसरी पारी में 35 रन बनाकर नाबाद रहे। मैच के बाद रहाणे ने सिराज को सम्मान दिया और पवेलियन लौटते वक्त सभी खिलाड़ियों को उनको फॉलो करने के लिए भी कहा। रहाणे ने मैच के बाद शुभमन और सिराज की तारीफ भी की।
रहाणे की जगह अश्विन खिलाड़ियों को सलाह देते देखे गए
उमेश यादव के चोटिल होने के बाद भी वे काफी कूल दिखे और बॉलर्स का ध्यान भंग नहीं होने दिया। दूसरे टेस्ट में कप्तान भले ही रहाणे थे, लेकिन कई मौके पर टीम के सबसे सीनियर प्लेयर अश्विन को टीम को सलाह देते देखा गया। ड्रिंक्स के बाद या लंच के बाद रहाणे के बाद अश्विन टीम से बात करते दिखे। इसका फायदा टीम इंडिया को मिला। 2014-15 के बाद से टेस्ट में कोहली की टीम इंडिया ऐसा कम ही बार देखने को मिला।
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