एक बार जब उन्हें ट्विटर पर सूचित किया गया, तो उन्होंने तुरंत मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने कोरोना सेनानियों को 25,000 फेस मास्क दिए हैं। लेकिन वह सब नहीं है। गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए स्मार्ट फोन वितरित किए। उन्होंने बाढ़ पीड़ित परिवार के लिए एक नया घर बनाया है। सव कुछ उन्होंने अकेले किया। उसे प्रोत्साहित हुये लोगों। उस उत्साह के साथ, आंध्र प्रदेश के कोडमा-बारी गाँव के आदिवासियों ने भी कुछ नया करने की पहल की है।
उनके गांव से मुख्य शहर तक की चार किलोमीटर की सड़क टूट गई थी। गंदगी वाली सड़क पर सफर करना मुश्किल था। परिणामस्वरूप, लोगों को रात में समस्याओं का सामना करना पड़ा। गर्भवती महिला से बीमार मरीज को अस्पताल तक ले जाना बहुत मुश्किल था। लेकिन सोनू सूद के काम को देखते हुए, उस गाँव के आदिवासियों ने खुद इस सड़क को बनाने का फैसला किया। कई बार सरकार को बताने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। कोई आगे नहीं आया। उसके बाद आदिवासियों ने खुद ही सड़कों का निर्माण शुरू कर दिया। उन्होंने यह खबर ट्विटर पर सोनू को बताई। खबर मिलते ही सोनू ने पैसे से मदद की। और उसने उस गाँव के निवासियों से वादा किया कि वह सड़क पूरा होते ही उस गाँव का दौरा करने आएगा। उसके बाद गाँव के निवासियों ने सोनू सूद को धन्यवाद देते हुए एक विशाल पोस्टर लगाया। वे इस सड़क को सोनू सूद के नाम पर समर्पित करना चाहते हैं।
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